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एमएसपी में बढ़ोतरी

दिवाली से पूर्व केंद्र सरकार गेहूं सहित 23 फसलों की एमएसपी में इजाफा कर सकती है

दिवाली से पूर्व केंद्र सरकार गेहूं सहित 23 फसलों की एमएसपी में इजाफा कर सकती है

लोकसभा चुनाव से पूर्व ही केंद्र सरकार किसानों को काफी बड़ा तोहफा दे सकती है। ऐसा कहा जा रहा है, कि सरकार शीघ्र ही गेहूं समेत विभिन्न कई फसलों की एमएसपी बढ़ाने की स्वीकृति दे सकती है। वह गेहूं की एसएमसपी में 10 प्रतिशत तक भी इजाफा कर सकती है। लोकसभा चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार द्वारा किसानों को बहुत बड़ा गिफ्ट दिए जाने की संभावना है। ऐसा कहा जा रहा है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रबी फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस में वृद्धि कर सकती है। इससे देश के करोड़ों किसानों को काफी फायदा होगा। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार गेहूं की एमएसपी में 150 से 175 रुपये प्रति क्विंटल की दर से इजाफा कर सकती है। इससे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और पंजाब के किसान सबसे ज्यादा लाभांवित होंगे। इन्हीं सब राज्यों में सबसे ज्यादा गेहूं की खेती होती है।

केंद्र सरकार गेंहू की अगले साल एमएसपी में 3 से 10 प्रतिशत वृद्धि करेगी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार आगामी वर्ष के लिए गेहूं की एमएसपी में 3 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के मध्य इजाफा कर सकती है। अगर केंद्र सरकार ऐसा करती है, तो गेहूं का मिनिमम सपोर्ट प्राइस 2300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। हालांकि, वर्तमान में गेहूं की एमएसपी 2125 रुपए प्रति क्विंटल है। इसके अतिरिक्त सरकार मसूर दाल की एमएसपी में भी 10 प्रतिशत तक का इजाफा कर सकती है।

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यह निर्णय मार्केटिंग सीजन 2024- 25 के लिए लिया जाएगा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि सरसों और सूरजमुखी (Sunflower) की एमएसपी में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। दरअसल, ऐसी आशा है कि आने वाले एक हफ्ते में केंद्र सरकार रबी, दलहन एवं तिलहन फसलों की एमएसपी बढ़ाने के लिए स्वीकृति दे सकती है। मुख्य बात यह है, कि एमएसपी में वृद्धि करने का निर्णय मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए लिया जाएगा।

एमएसपी में समकुल 23 फसलों को शम्मिलित किया गया है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर केंद्र मिनिमम सपोर्ट प्राइस निर्धारित करती है। एमएसपी में 23 फसलों को शम्मिलित किया गया है। 7 अनाज, 5 दलहन, 7 तिलहन और चार नकदी फसलें भी शम्मिलित हैं। आम तौर पर रबी फसल की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर महीने के मध्य की जाती है। साथ ही, फरवरी से मार्च एवं अप्रैल महीने के मध्य इसकी कटाई की जाती है।

जानें एमएसपी में कितनी फसलें शामिल हैं

  • अनाज- गेहूं, धान, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी और जो
  • दलहन- चना, मूंग, मसूर, अरहर, उड़द,
  • तिलहन- सरसों, सोयाबीन, सीसम, कुसुम, मूंगफली, सूरजमुखी, निगर्सिड
  • नकदी- गन्ना, कपास, खोपरा और कच्चा जूट
केंद्र ने जूट की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, जूट उत्पादकों को हुआ फायदा

केंद्र ने जूट की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, जूट उत्पादकों को हुआ फायदा

पूर्वी भारत में जूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, असम, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में लाखों किसान जूट की खेती किया करते हैं। जूट का उत्पादन करने वाले किसान भाइयों के लिए बड़ा समाचार है। किसानों की मांग को मंदेनजर रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मेंं 6 फीसद का इजाफा करने का निर्णय लिया है। जिसके लिए आर्थिक मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए ) ने स्वीकृति भी दे दी है। विशेष बात यह है, कि सीसीईए द्वारा एमएसपी में यह वृद्धि केवल 2023-24 सीजन हेतु की गई है। इससे भारत के लाखों किसान भाइयों को लाभ होगा। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीसीईए ने कच्चे जूट की एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। फिलहाल, एक क्विंटल जूट का भाव 5050 रुपये हो गया है। साथ ही, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा है, कि एमएसपी की यह वृध्दि वर्ष 2018-19 में घोषित उत्पादन खर्च के अनुसार है। जानकारी के लिए बतादें कि इससे भारत के 40 लाख किसान लाभांवित होंगे। वहीं, 4 लाख कामगार भी इससे फायदा उठाएंगे। उन्होंने बताया है, कि एमएसपी में वृद्धि होने से पैदावार की अखिल भारतीय औसत लागत पर 63.20% का रिटर्न मिलेगा।

जूट का सर्वाधिक उत्पादन इस राज्य में होता है

जानकारी के लिए बतादें, कि पूर्वी भारत में जूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। विशेष रूप से मेघाल, त्रिपुरा, बिहार, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में लाखों किसान जूट का उत्पादन करते हैं। इन किसानों की आमदनी का प्रमुख साधन भी जूट की खेती होती है। विशेष बात यह है, कि इन प्रदेशों के 33 जनपदों के अंदर जूट का उत्पादन किया जाता है। बतादें कि इन राज्यों में से जूट का सर्वाधिक उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल है। यहां समकुल जूट का 50 फीसद से भी ज्यादा का उत्पादन होता है। यही कारण है, कि पूर्व में पश्चिम बंगाल के अंदर सर्वाधिक जूट मिला था। ये भी पढ़े: सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल

केंद्र व राज्य सरकारें जूट की वस्तुओं के कुल पैदावार की 70% खरीदारी करती हैं

जूट का कृषि क्षेत्र में बेहद इस्तेमाल किया जाता है। जूट के इस्तेमाल से थैला, बोरी, बैग और बहुत सी अन्य प्रकार की वस्तुएं भी निर्मित की जाती हैं। साथ ही, जूट उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए, सरकार द्वारा जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 को अधिनियमित किया है। इसके अंतर्गत जूट में पैक की जाने वाली कुछ वस्तुओं को निर्धारित किया गया है। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जूट बैग में खाद्यान्नों की पैकिंग हेतु आरक्षण भी दे रखा है। इसके खाद्यान्न एवं चीनी हेतु क्रमशः 100% एवं 20% जूट के बैग में पैकिंग जरुरी की गई है। विशेष बात यह है, कि केंद्र एवं राज्य सरकारें खाद्य पदार्थों की पैकिंग हेतु जूट की वस्तुओं की कुल पैदावार का 70% फीसद खरीदारी करती हैं। मुख्य बात यह है, कि जूट की बोरी का सर्वाधिक इस्तेमाल धान एवं गेहूं खरीदी के समय पैकिंग हेतु किया जाता है।
केंद्र सरकार ने इस फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में किया इजाफा, अब किसान होंगे मालामाल

केंद्र सरकार ने इस फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में किया इजाफा, अब किसान होंगे मालामाल

देश की केंद्र सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने का प्रयत्न कर रही है। इसके अंतर्गत आए दिन सरकार नई योजनाएं लॉन्च करती रहती है, जिससे देश के किसानों को फायदा होता है और कृषक आधुनिक तरीके से खेती करके अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। इसके साथ ही समय-समय पर केंद्र सरकार किसानों से खरीदे जाने वाले अनाज और कच्चे माल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोत्तरी करती है ताकि किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके। अब खबर है कि केंद्र सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है। यह निर्णय सरकार ने किसानों की मांग को देखते हुए लिया है। जूट के किसान लंबे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की मांग कर रहे थे। इसके लिए केंद्र सरकार की आर्थिक मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए ) ने मंजूरी भी दे दी है। सीसीईए  के अधिकारियों ने बताया है कि यह वृद्धि सिर्फ 2023-24 सीजन के लिए की गई है। ताकि देश के लाखों जूट किसान इससे लाभान्वित हो पाएं। ये भी पढ़े: न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में बेहतर जानें फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। इसके साथ ही अब जूट का सरकारी रेट 5050 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। सरकार की इस घोषणा से देश के 40 लाख जूट किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही जूट उद्योग में लगे 4 लाख ज्यादा कामगारों को अप्रत्यक्ष फायदा होगा। जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने तारीफ की है।

भारत के इन राज्यों में होता है जूट का उत्पादन

जूट का उत्पादन ज्यादातर पूर्वी भारत में किया जाता है। इसकी खेती खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में की जाती है। इन राज्यों के कुछ चयनित जिलों में जूट का उत्पादन किया जाता है। देश में जूट की खेती से लाखों किसान जुड़े हुए हैं। जो इनकी आय का मुख्य साधन है। देश में जूट सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। भारत के कुल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत जूट पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। पश्चिम बंगाल का मिदनापुर जिला इसकी खेती का गढ़ माना जाता है। इसी कारण जूट मिलों की संख्या भी पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा जूट उत्पादक देश है। भारत में हर साल औसतन 1,960,380 टन जूट का उत्पादन किया जाता है। भारत के बाद बांग्लादेश जूट का दूसरा सबसे बाद उत्पादक देश है। देश में जूट का सबसे ज्यादा उपयोग बैग, थैला, बोरी, रस्सी और कई अन्य तरह की चीजें बनाने में होता है। देश की केंद्र सरकार जूट की खेती को लगातार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार ने इसे जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 के अंतर्गत अधिनियमित किया है। जिसके अंतर्गत कई तरह की चीजों को जूट की थैलियों में पैक करना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने खाद्यान्न को पैक करने के लिए पूरी तरह से जूट के बोरे उपयोग करने के आदेश दिए हैं, इसके साथ ही चीनी की 20% पैकिंग भी जूट के बोरों में करनी होगी। देश में जूट से कुल उत्पादित होने वाले 70 प्रतिशत सामान की राज्य और केंद्र सरकारें खरीदारी करती हैं। देश में जूट के बोरों का सबसे ज्यादा उपयोग अनाज भरने के लिए किया जाता है।